प्रेमचंद जी की गिनती हिन्दी साहित्य के श्रेष्ठ साहित्यकरो में की जाती है . आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको मुंशी प्रेमचंद के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले है . मुंशी प्रेमचंद जी के जीवन परिचय , उनकी प्रमुख कृतियाँ एवं उनके द्वारा किये गए प्रमुख कार्यो को जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़े.
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय / Munshi Premchand Biography In Hindi -
मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म वाराणसी जिले के लमही नामक ग्राम में 31 जुलाई,सन 1880 में हुआ था .इनके पिता का नाम अजायब राय और इनकी माता का नाम आनंदी देवी था . इनके बचपन का नाम धनपत राय था.
जब इनके पिता की म्रत्यु हुई, तब इनकी आयु बहुत कम थी ,जिसके कारण इन्हें बचपन से ही कठोर संघर्ष करना पड़ा. कक्षा-10 की परीक्षा पास करने के बाद इन्होने अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया .
इन्होने बड़े परिश्रम और साहस के साथ प्रवेश परीक्षा पास कर इंटर की पढाई शुरू क,. परन्तु परीक्षा में फेल हो जाने के कारण पढाई छोड़ दी. इनका विवाह विधार्थी जीवन में ही हो गया था, परन्तु परस्पर सामंजस्य न होने के कारण इन्होने शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया. विपरीत परिस्थितियो में भी इन्होने अपने साहस से अपनी शिक्षा निरंतर जारी रखी. शिक्षण कार्य करते हुए इन्होने बी ए की परिक्षा पास की और शिक्षा विभाग में सब -डिप्टी इंस्पेक्टर नियुक्त किये गए .महात्मा गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन से परभावित होकर इन्होने नोकरी से त्याग -पत्र दे दीया.
कुछ समय तक कष्टपूर्ण जीवन व्यतीत करने के बाद सन् 1931 में ये कानपुरके मारवाड़ी विधालय में पुनः अध्यापक नियुक्त हुए तथा बाद में इसी विधालय में प्रधानाध्यापक भी नियुक्त किये गए. तत्पश्चात वैचारिक मतभेद के कारण इन्होने नोकरी से त्याग पत्र दे दिया. इन्होने काशी विधापीठ में भी अध्यापन कार्य किया. अपना साहित्यिक जीवन प्रारंभ करने पर इन्होने मर्यादा पत्रिका का संपादन किया. तत्पश्चात इन्होने माधुरी, हंस तथा जागरण आदि पत्रिका पत्रों का संपादन और प्रकाशन भी किया.
इस कार्य ने इन्हें आर्थिक संकट में डाल दिया, जिससे उबरने के लिए इन्होने बंबई (मुंबई) में फिल्म निर्माण कंपनी में नोकरी की. वहाँ भी इनका मन नहीं लगा, तो ये वापस कशी लोट आये ओर अपने गाँव में रहते हुए निरंतर साहित्य सेवा में लगे रहे. निरंतर आभाव में रहने के कारण ये लम्बी बीमारी से ग्रस्त हो गए. 8 अक्टूबर, सन 1936 में कठोर जीवन संघर्ष और धनाभाव से जुझते हुए हिंदी साहित्याकाश का यह चमचमाता सितारा पंचतत्व में विलीन हो गया.
साहित्यिक परिचय -
मुंशी प्रेमचंद आरंभ से ही बहुमुखी प्रतिभा संपन थे. सुरु में ये उर्दू में नवाब राय के नाम से उपन्याश और कहानिया लिखते थे. इनके उर्दू में कुछ राजनेतिक कहानिया धनपत राय के नाम से प्रकाशित हुई थी. सन 1915 दिवेदी युग के प्रवर्तक आचार्य महावीर प्रसाद दिवेदी के प्रेरणा से इन्होने प्रेमचंद नाम धारण कर हिंदी साहित्य जगत में प्रवेश किया. इन्हें कलम का सिफ़ाई और उपन्यास सम्राट की उपाधी दे गयी.
कृतियाँ -
कहानी संग्रह - सप्त्सरोज ,नवनिधि ,प्रेम-प्रसून ,प्रेमपचीसी ,मानसरोवर (दस भाग) ,ग्राम्य जीवन की कहानियां ,कफ़न ,प्रेरणा ,कुत्ते की कहानी ,प्रेम चथुर्थी ,समर-यात्रा ,मन मोदक ,अग्नि समाधी ,प्रेमगंगा ,सप्त्सुमन आदी प्रमुख है.
उपन्यास - सेवासदन ,गोदान ,क्रमभूमि ,गबन ,निर्मला ,रंगभूमि ,प्रेमाश्रम ,वरदान ,प्रतिज्ञा तथा कायाकल्प ,मंगलसूत्र (अपूर्ण कृती) आदी.
निम्बंध - कुछ विचार और साहित्य का उद्देश्य आदी.
नाटक - संग्राम ,प्रेम की वेदी ,रूठी रानी तथा कर्बला आदी.
संपादन - माधुरी ,हंश ,जागरण ,मर्यादा आदी.
सम्पादित रचनाएँ - गल्परतन तथा गल्पसमुच्चय आदी.
अनुदित रचनाएँ - सुखदास ,अहंकार ,आजाद -कथा ,चांदी की डिबिया ,टाॅलस्टाय की कहानियां तथा श्रष्टि का आरम्भ आदी.
जीवनी और बालोपयोगी रचनाएँ - कलमतलवारकात्याग ,दुर्गादास ,महात्मा शेखसादी ,रामचर्चा इत्यादि.
भाषा -
मुंशी प्रेमचंद की भाषा सहज ,प्रवाहपूर्ण ,मुहावरेदार और प्रभावशाली है. इनकी भाषा में अदभुत व्यंजन-शक्ति विधमान है. इनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रधानता है, तो कही-कही उर्दू ,फ़ारसी और अंग्रेज़ी शब्दों का यथास्थान प्रयोग है.
शैली -
विवेचनात्मक शैली , हास्य-व्यंग्य प्रधान शैली , भावात्मक शैली , वर्णात्मक शैली , मनोवैज्ञानिक शैली .
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