मत खेलो मेरे जज़्बातों से यारों...
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बहुत नाज़ुक मिजाज़ हूँ....
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तुम्हें ख़बर भी न होगी और,
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यूँ ही.. हँसते-हँसते
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रेपटा धर दूँगा,
क्या मतलब निकलेगा फिर....!
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बहुत नाज़ुक मिजाज़ हूँ....
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तुम्हें ख़बर भी न होगी और,
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यूँ ही.. हँसते-हँसते
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रेपटा धर दूँगा,
क्या मतलब निकलेगा फिर....!
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